सातवां अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य एवं संस्कृति सम्मेलन- जर्मनी , हंगरी, चेक ,आस्ट्रिया -02 से 10 जून 2017

सभ्यता के अरुणोदय से मानवीय समाज में भाषा सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र के रूप में अपनी उपयोगिता एवं महत्व को निरंतर सिद्ध करती रही है। असंख्य अन्वेषण और शोध के उपरान्त कोई भाषा समाज में अपना स्थान बनाती है। हिंदी भी कालचक्र के असंख्य थपेड़ों से लड़ते हुए आज यहां तक पहुंची है। भूमंडलीकरण के दौर में भी हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है अपितु एक संपूर्ण संस्कृति है। हिंदी भविष्य की भाषा है और हमारी समृद्ध परम्पराओं, संस्कृति और साहित्य की वाहिनी भी है।

विश्व हिंदी साहित्य परिषद् इस बात के लिए वचनबद्ध है कि भाषा, साहित्य और संस्कृति के उन्नयन एवं उत्कर्ष हेतु हमेशा खुला मंच प्रदान करती रहेगी। इन्हीं विचारों को गति प्रदान करने के लिए विश्व हिंदी साहित्य परिषद् देश में ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार एवं उन्नयन के लिए प्रयासरत है।

 

इसी कड़ी में दुबई 2012,मॉरिशस-2013, ताशकंद-2014 ,लन्दन,पेरिस,ज्यूरिख-2015,इंडोनेशिया-बाली एवं बिर्मिंघम(यू.के) 2016 के बाद 02 से 10 जून 2017 के मध्य भारतीय संस्कृति एवं संबंध परिषद् के सहयोग से  अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य एवं संस्कृति सम्मेलन  हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में प्रस्तावित है |हिंदी भाषा एवं साहित्य के लिए भारत सरकार द्वारा निरन्तर किये जा रहे सृजनात्मक  /रचनात्मक प्रयासों को परिषद् रेखांकित करती है तथा आपको  इस सम्मेलन के द्वितीय सत्र में “वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा के संवर्धन के लिए किये जा रहे  प्रयास” विषय पर वक्ता के रूप में अपना प्रपत्र  प्रस्तुत करने के लिए परिषद् आपको सादर आमंत्रित करती है |

इस कार्यक्रम में हंगरी विश्वविद्यालय हिंदी विभाग की अध्यक्षा डॉ. मरिया नेज्येशी विशिष्ठ अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगी |

सम्मेलन का विषय “ वैश्विक हिंदी : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य  पर केन्द्रित होगा ।

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